मेल इंफर्टिलिटी या पुरुष निःसंतानता क्या है? purush banjhpan kya hota hai HIndi
जीवनशैली के बदलाव और भागदौड़ के कारण न केवल भारत बल्कि संपूर्ण विश्व के पुरुषों के शुक्राणुओं की क्वालिटी एवं उनकी संख्या में भारी गिरावट आई है। दैनिक पत्रिकाओं में छप रहें लेख एवं शोधों के अध्ययन से यह बात निकल कर सामने आ रही है की पुरुषों का वीर्य (स्पर्म) अब पहले की भांति नही रहा। विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के अनुसार पुरुषों के शुक्राणुओं की संख्या में 45 प्रतिशत तक कमी देखने को मिल रही है। वीर्य में कमी होने के कारण पुरुषों के पिता बनने का सपना अब अधूरा सा साबित होने लगा है।
जब कोई वयस्क पुरुष किसी महिला के साथ 1 वर्ष तक बिना किसी सुरक्षा के यौन संबंध स्थापित करता है और इसके बाद भी वह महिला को गर्भधारण करवाने में असमर्थ रहता है तो इस अवस्था को पुरुष बांझपन या पुरुष निःसंतानता कहा जाता है।
पुरुषों में नि:संतानता के क्या कारण है – purush banjhpan ke karan Hindi
वैदिक आयुर्वेदिक पद्धति के अनुसार पुरुषों में नि:संतानता के अनेकों कारण बताये गए है।
आइये इस पर एक नज़र डालते है –
- आयुर्वेद के अनुसार जो पुरुष अत्यधिक यौन गतिविधियों में संलिप्त रहता है। जिसके कारण पुरुष में आलस्य की प्रवृति अधिक हो जाती है, जिससे उनका वीर्य प्रभावित होता है।
- कुछ पुरुष अत्यधिक शारीरिक और मानसिक श्रम करते है इस कारण से भी यह समस्या देखने को मिलती है।
- जो पुरुष मसालेदार एवं नमकीन चीजों का सेवन ज्यादा करते है, जमे हुए – संरक्षित भोजन (preserved food), कम पोषण तत्वों के आहार और ख़राब जीवनशैली को अपनाते है। जिससे पुरुषों का स्वभाव क्रोधी (गुस्से वाला) हो जाता है। ऐसा करने पर पित्त दोष की संभावना बन जाती है। जो की शुक्राणु की गुणवत्ता और मात्रा को प्रभावित करता है। जिससे पुरुष नि:संतानता उत्पन्न होती है।
- इसके अतिरिक्त भय, तनाव, तंग कपड़े, गर्म वातावरण में काम करना, धूम्रपान, शराब आदि भी पुरुषो में निःसंतानता के कारण हैं और इन कारणों का उल्लेख भी आयुर्वेदिक चिकित्सा प्रणाली में देखने को मिलता है।
- अतः यहाँ से एक बात तो स्पष्ट होती है कि अपने आस पास का वातावरण और खान पान का असर पुरुषों के प्रजनन क्षमता पर भी मुख्य रूप से पड़ता है।
- एक शोध के द्वारा ये भी पता चला है कि पर्यावरण में व्याप्त प्रदुषण, खानपान और जीवनशैली के कारण ही पुरुषों में निःसंतानता संबंधी समस्याओं में इजाफा हुआ है।
- मानसिक तनाव – तनाव के दौरान स्वायत्त तंत्रिका तंत्र (एएनएस) और अधिवृक्क ग्रन्थि (adrenal gland) हार्मोन पुरुषों में प्रजनन प्रणाली को प्रभावित करते हैं। अध्ययनों से पता चला है कि भावनात्मक तनाव पुरुषों में टेस्टोस्टेरॉन हार्मोन (Testosterone harmon) के स्तर को कम कर देतें है जिससे की जननांगों में शुक्राणु निर्माण की प्रक्रिया बाधित होती है।
- अंडकोश की थैली का अधिक तापमान – अंडकोष (SCROTUM ) का तापमान शरीर के तापमान से थोड़ा कम होता है जो की शुक्राणु निर्माण के लिए एक आदर्श स्थिति है। अधिक तापमान शुक्राणु जनन के लिए प्रतिकूल होतें है इसलिए पुरुषों में अंडकोष की स्थिति शरीर से थोड़ा बहार की तरफ होती है। जिससे इसका तापमान शरीर के तापमान से कम बना रहे।
- वृषण क्षेत्र (नर जनन ग्रन्थि- Testicle) के तापमान में वृद्धि शुक्राणु निर्माण को प्रभावित करती है।
- इनके अतिरिक्त तंग फिटिंग के कपडे, टाइट अंडरवियर पहनना, उच्च तापमान में काम करना, बुखार इत्यादि वृषण (जनन ग्रन्थि) के उच्च तापमान के कारण बनते है। जो की अंततः पुरुषों में नि:संतानता को उत्पन्न करतें हैं।
- धूम्रपान (SMOKING) – ऐसा देखा गया है की जो पुरुष जरुरत से ज्यादा धूम्रपान करते है उनमें यह समस्या उत्पन्न होने की ज्यादा संभावनायें होती है।
- शराब का सेवन – शराब के सेवन से टेस्टोस्टेरोन (Testosterone harmon) के स्तर में कमी देखने को मिलती है जिसके परिणामस्वरूप पुरुषों में सेक्स करने की इच्छा ख़त्म हो जाती है। इनके साथ ही अत्यधिक एल्कोहलिक पदार्थों का सेवन शुक्राणुओं की गुणवत्ता और मात्रा को प्रभावित करता है।
- एल्कोहल (शराब) का सेवन करने से यकृत द्वारा विटामिन ए के उपापचय (Metabolism) की दर पूर्णतः समाप्त हो जाती है और जिंक के अवशोषण की दर में कमी आती है।
- अब चूंकि विटामिन ए शुक्राणुओं के विकास में आवश्यक है और जिंक की कमी शुक्राणुओं की संख्याओं में कमी का कारक है जो की एल्कोहल से सर्वाधिक प्रभावित होती है। अब ये तो साफ़ तौर पर कहा जा सकता है कि शराब किस हद तक प्रजनन स्वास्थ्य को प्रभावित कर सकता है और यह पुरुषों में नपुंसकता का सबसे बड़े कारण के रूप में सामने आ रहा है।
पुरुषो में निःसंतानता के लक्षण – purush banjhpan ke lakshan Hindi
पुरुषों में निःसंतानता का मुख्य लक्षण बच्चा पैदा करने में सक्षम न हो पाना ही है। अधिकांश पुरुष अपने नपुंसकता संबंधी उत्पन्न हो रहे लक्षणों की अनदेखी कर देते है जो की इस प्रकार से है।
- हार्मोन्स में होने वाले बदलाव के कारण स्खलन (वीर्य पात -) करने में सक्षम न हो पाना ।
- अंडकोषों में दर्द और सूजन ।
- हार्मोन असंतुलन के कारण सेक्स करने की इच्छाओं का समाप्त होना।
- शुक्राणुओं की संख्या मेें कमी होना ।
पुरूष बांझपन के कितने प्रकार होते हैं?
आयुर्वेद के अनुसार पुरुष निःसंतानता को तीन भागों में बाँटा गया है।
- वीर्य की संख्या (Low Sperm Count – Azoospermia) – यदि पुरुष के वीर्य में शुक्राणुओं की संख्या में कमी होती है तो उसे लो स्पर्म काउंट के नाम से जाना जाता है।
- वीर्य की गुणवत्ता (oligospermia)- यदि पुरुषों के वीर्य की गुणवत्ता अच्छी नही है तो उसके कारण भी पुरुष निःसंतानता का शिकार हो सकते है।
- वीर्य का आकार – (Sperm motility) – संतान पैदा करने के लिए पुरुषों के शुक्राणुओं का आकार अच्छा होना भी बहुत महत्वपूर्ण होता है। यदि शुक्राणुओं का आकार ठीक नही है तो पुरुष निःसंतानता हो सकती है।
पुरुष निःसंतानता की जाँच – purush banjhpan ki janch Hindi
आयुर्वेद के अनुसार स्वस्थ वीर्य की विशेषता तरल, मोटी, भारी, मीठी, बिना किसी भी दुर्गंध एवं चिपचिपा, सफ़ेद रंग ही स्वस्थ वीर्य की पहचान है । इसके साथ ही इसकी तरलता शहद और शीशम के तेल की तरह होती है।
अब जहाँ तक बात है आयुर्वेद में वर्णित खराब वीर्य की तो यह झागदार, पतली, सूखी, फीकी, हाइपर चिपचिपी, पायरोस्पर्मिया (प्रजनन प्रणाली में संक्रामक) , कम मात्रा, मूत्र / मल जैसी बदबू आती हो तो इसे ख़राब वीर्य की संज्ञा दी गयी है।
पुरुष बांझपन की अन्य जाँच –
- वीर्य विश्लेषण (semen-analysis) – इस जाँच में पुरुष के वीर्य मात्रा एवं गुणवत्ता की जानकारी प्राप्त हो जाती है।
- अंडकोषीय अल्ट्रासाउंड (Testicular Ultrasound) – अंडकोषीय अल्ट्रासाउंड से अंडकोष से जुड़े तथ्यों का पता लगाया जा सकता है। इस जाँच में अंडकोष की थैली एवं नसों की पूर्ण जानकारी प्राप्त हो जाती है। यह जाँच पूरी तरह से सुरक्षित है तथा इस जाँच में किसी भी प्रकार की कोइ समस्या नही होती है।
- हार्मोन परीक्षण (Sex Hormone Test) – यह टेस्ट इसलिए किया जाता है जिससे प्रजनन तंत्र का ठीक से पता लगाया जा सकें एवं एस्ट्रोजन, प्रोजेस्टेरोन और टेस्टोस्टेरोन हॉर्मोन का पता लग सके।
- स्खलन (शीघ्रपतन) यूरिनलिसिस -( Premature ejaculation) शीघ्र पतन की जानकारी के लिए इस जाँच की मदद लेनी पड़ती है।
- आनुवंशिक परीक्षण ( Genetic Test ) – आनुवंशिक विकारों एवं समस्याओं को जानने के लिए आनुवंशिक परीक्षण करना बहुत ही जरुरी होता है।
- अंडकोष बायोप्सी( Testicular Biopsy) – इस जाँच के अंतर्गत अंडकोष के ऊतक एवं कोशिकाओं की जाँच की जाती है। जिससे संक्रमण के बारे में पता लगाया जा सकता है।
पुरुष नपुंसकता के उपचार – purush banjhpan ke gharelu upchar Hindi
अब जहाँ तक बात की जाए वर्तमान समय में आधुनिक विज्ञान (आइवीएफ) में पुरुष नपुंसकता के लिए कोई विशिष्ट उपचार नहीं है। आइवीएफ चिकित्सा उपचार महंगा है, उपयोग करने में आसान नहीं है, कुशल नहीं है और इसके दुष्प्रभाव भी हैं। इसलिए पुरुष नि:संतानता के लिए आयुर्वेदिक दवाओं की माँग में तेजी से इज़ाफा हुआ है।
आयुर्वेद एक प्राचीन विज्ञान है जो कि स्वस्थ आहार और जीवन शैली पर जोर देता है। शुक्राणु गतिशीलता के लिए या किसी भी निःसंतानता के कारक के लिए आयुर्वेदिक दवाएँ विकारों एवं दोषों (विषाक्तता) को दूर करने और हार्मोन को संतुलित करने का काम करती है।
आयुर्वेद के प्राचीन अध्यायों में वर्णित ऐसे कई उपचारों का उल्लेख किया गया है, जिनका पालन करने से व्यक्ति ख़राब जीवनशैली से होने वाली अनेकों बीमारियों से बच सकता है।
- दिनचर्या – आयुर्वेद के अनुसार दिनचर्या का अर्थ दैनिक कार्यों से है। दिनचर्या का पालन करने से मनुष्य का तन एवं मन दोनों स्वस्थ रहते है एवं दोषों का संतुलन बना रहता है। प्रतिरक्षा प्रणाली बहुत ही मजबूत बनती है।
- ऋतुचर्या – आयुर्वेद कहता है कि यदि आप ऋतुओं के अनुसार ही खाद्य पदार्थों का सेवन करते है तो आप बहुत सारी बीमारियों से दूर रह सकते है। ऋतु का मतलब मौसम से है अर्थात मौसम के अनुसार ही अपने खान पान में बदलाव करना है।
- रात्रिचर्या – नींद लेना हमारे शरीर के लिए बहुत ही आवश्यक है। रात्रि नींद लेने के बहुत अच्छी होती है, अतः जो रात्रिरचर्या के नियमों का पालन करते है वह एक अच्छे स्वास्थ्य के मालिक होते है।
- आचार रसायन – रसायन चिकित्सा को आयुर्वेद के आठ अंग में से एक माना जाता है। रसायन का हमारे धातु से सीधा संबंध होता है। इस चिकित्सा से मानव शरीर में उत्तम धातु का निर्माण होता है और यहां पर धातु का संबंध पुरुष के वीर्य से है।
- अष्ठांग योग – आयुर्वेद के अनुसार आत्म शुद्दि एवं शरीर शुद्धि के लिए अष्ठांग योग सबसे अच्छा उपचार है। अष्ठांग योग में यम, नियम, आसन, प्राणायाम, प्रत्याहार, धारणा, ध्यान और समाधि सम्मिलित है। इस योग के द्वारा मानव शरीर के दोषों जैसे कि वात, पित्त एवं कफ का निवारण होता है।
पुरुष बांझपन के लिए आयुर्वेदिक उपचार में पंचकर्म चिकित्सा की महत्वपूर्ण भूमिका है। जिसे 3 प्रमुख चरणों में वर्गीकृत किया गया है और आगे उप वर्गीकृत किया गया है।
- प्रारंभिक उपचार – पंचकर्म के पहले चरण में मरीज को दवाओं का सेवन कराया जाता है। आयुर्वेद में इसे प्रारंभिक उपचार कहा गया है।
- मुख्य उपचार- आयुर्वेद के मुख्य उपचार में पंचकर्मा की विरेचन थेरेपी का सहारा लिया जाता है। विरेचन चिकित्सा में मरीज को दूध एवं औषधीय तेलों से संबधित उपचार दिये जाते है।
- स्नेह बस्ती उपचार – इस पंचकर्मा उपचार में तेल एनीमा भी शामिल है। बस्ती को कायाकल्प एनीमा भी कहते है। जिसे लंबे समय तक बिना किसी प्रतिकूल प्रभाव के इस्तेमाल किया जा सकता है।
मुख्य उपचार के बाद प्रबंधन- मुख्य उपचार के उपरांत चरक संहिता में वाजीकरण औषधियों (दवाइयाँ और जड़ी-बूटिया) का उल्लेख किया गया है। जो की पुरुषो में वज्रकारण और शुक्राणु प्रयोजन के लिए इस्तेमाल की जाती हैं।
कपिकच्छु – यह कम शुक्राणु गतिशीलता के लिए आयुर्वेदिक उपचार में उपयोग किया जाता है और शुक्राणुओँ की मात्रा को बढता है। यह महिलाओं में भी ovulation regularizes और पुरुष के बाँझपन को रोकने में मदद करता है। इसके अलावा, जड़ी बूटी एक शांतिदायक दवा के रूप में कार्य करता है।
गोक्षुरा- टेस्टोस्टेरोन (पुरुष हार्मोन) के स्तर को बढ़ाता है।
अश्वगंधा- यह शुक्राणु जनन को बढ़ाता है।
शतावरी- यह ऑक्सीडेटिव तनाव को कम करने और फर्टिलिटी को बढ़ाने में मदद करता है।
यष्टिमधु – वीर्य की गुणवत्ता में सुधार करता है।
इन सब के अतिरिक्त आयुर्वेद में अन्य दवाइयाँ भी बताई गयी है जिसे डॉक्टर के परामर्श के बाद लिया जा सकता है जो की इस प्रकार से हैं।
- शिलाजीत रसायन
- अभ्रक भस्म
- सुकुमार घृत
- अग्नितुंडि वटी
- अश्वगंधा घृतम
- च्यवनप्राश
- दशमूलारिष्टम्
- चन्द्र प्रभा वटी आदि।
इसके अलावा शुक्राणुओं की शुद्धि में मदद करने वाली आयुर्वेदिक औषधियाँ हैं –
- कत्थाला,
- समुद्रा फेन,
- वसुका,
- जिवाका
- काकोली
- मेदा
- क्षीरककोली
- इक्षु आदि।
ऐसी दवाएँ उचित मात्रा के साथ और पुरुष निःसंतानता विशेषज्ञ से परामर्श के बाद ही दी जानी चाहिए।
आशा आयुर्वेदा की स्त्री एवं प्रसूति विशेषज्ञ डॉ चंचल शर्मा की राय है कि दवाओं और जड़ी बूटियों के अलावा योगाभ्यास और मेडिटेशन भी इस समस्या से उबरने में लाभकारी सिद्ध होता है। योग के ये आसान योग वॉल पोज़, आसान पोज़, रिक्लाइनिंग, बाउंड एंगल फर्टिलिटी बढ़ाने में मददगार साबित होते हैं।
पुरुषो की प्रजनन क्षमता बढ़ाने हेतु प्राकृतिक उपाय –
आयुर्वेद प्राकृतिक रूप से किसी बीमारी के इलाज पर जोर देता है। पुरुष प्रजनन क्षमता के लिए प्राकृतिक उपचार का उद्देश्य शुक्राणु की मात्रा में वृद्धि, गुणवत्ता में सुधार और पुरुष प्रजनन स्वास्थ्य में सुधार करना है। पुरुष प्रजनन प्रणाली के उचित कार्यान्वयन के लिए आवश्यक खनिज और विटामिन के साथ उचित आहार बहुत महत्वपूर्ण है।
पुरुष निःसंतानता को दूर करने के लिए क्या खायें और क्या नही –
- पुरुषो में प्रजनन क्षमता बढ़ाने हेतु आहार में जैविक फल और सब्जियां, साबुत अनाज, फलियां, नट, मछली और बीज आदि शामिल करना चाहिए।
- जितना हो सके तेलयुक्त, डिब्बे बंद खाद्य, संतृप्त वसा और हाइड्रोजनीकृत तेलों से बने पदार्थो के सेवन से बचे।
- कद्दू के बीजों में आवश्यक फैटी एसिड के साथ उच्च जस्ता होता है, जो पुरुष प्रॉडक्टिव हार्मोन के कार्यान्वयन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
- खनिज और विटामिन्स जैसे vitamin B-12, C, E और flaxseed oil, zinc, coenzyme Q 10 आदिे शुक्राणुओं की संख्या और गतिशीलता को बढ़ाने में मदद करतें है। अतः इन सभी से सम्बंधित खाद्य पदार्थो को अपने आहार में शामिल करें।
- इनके साथ ही उच्च गुणवत्ता की हर्बल दवाओं ने पुरुषो में नपुंसकता के इलाज को संभव कर दिखाया है।
वर्तमान समय में आधुनिक चिकित्सा की जो प्रणाली प्रचलित है उसमें अधिक लागत और दोष होते होते है। इसके कई दुष्प्रभाव भी बाद में देखने को मिलते है । यहीं कारण है कि आज के समय में हजारो हजार नि:संतानता से ग्रसित दंपत्तियों का रुझान आयुर्वेद की तरफ हुआ है। जो की पूर्णतः प्राकृतिक चिकित्सा प्रणाली और जड़ी बूटियों पर आधारित हैं।
पुरूष बांझपन के इलाज की लागत –
आयुर्वेद में पुरुष निःसंतानता के उपचार की लागत का मूल्य ऐलोपैथिक दवाओं से कहीं कम है । आयुर्वेद का कोई दुष्प्रभाव भी देखने को नही मिलतां है। इसके अलावा पुरुष नि:संतानता के लिए आयुर्वेदिक उपचार महत्वपूर्ण परिणाम देने वाला सिद्ध हुआ है।
पुरूष बांझपन के लिए सबसे अच्छा विकल्प क्या है?
वर्तमान समय में पुरुष बांझपन को दूर करने के लिए बहुत सारे विकल्प मौजूद है जैसे की आइवीएफ, आईयूआई इत्यादि परंतु इन सबके उपचार के द्वारा भी पुरुष निःसंतानता को दूर नही किया जा सकता है। क्योंकि आधुनिक चिकित्सा एलोपैथी निःसंतानता को दूर करने में पूरी तरह से समर्थ नही है अर्थात निःसंतानता के केशों में आइवीएफ की सफलता दर 10 प्रतिशत से 20 प्रतिशत के बीच ही होती है और इसके असफल (आइवीएफ फेल) होनी की संभावना बहुत ज्यादा देखने की को मिलती है। अक्सर सुनने को मिलता ही रहता है कि आइवीएफ फेल हो गया तो क्या करें।
पुरुष बांझपन दूर करने का सबसे बढ़िया और सफल उपचार केवल आयुर्वेद मेें ही उपस्थित है और इसके दुष्प्रभाव यानि की कोई भी साइड इफैक्ट भी नही है। अतः पूरे निष्कर्ष के बाद हम कह सकते है कि पुरुष निःसंतानता को दूर करने के लिए आयुर्वेद ही एक अच्छा विकल्प है।
MALE INFERTILITY
Now a days, approximately 22 – 30% of couples are suffering from infertility which means they are trying to conceive with unprotected intercourse for at least a year. In about 50% off infertility patients male infertility is the factor.
Causes Of Male Infertility Are :-
- Excessive smoking
- Alcohol and Drugs intake
- Lifestyle generated issues- like obesity, diabetes etc.
- Emotional Stress
- Malnourishment- like vitamin C, selenium, zinc and folate deficiency.
- Environmental exposures- Indoor pollution as well as outdoor pollution from vehicles.
All the Above factors cause abnormal sperm production or impaired sperm. Ayurveda has mentioned sexual dysfunction and sperm related issues thousands of years ago and developed the separate specialty namely Vajikarana Chikitsa. This has also explained appropriate herbal medications and proper lifestyle for overall enhancement of health treating male infertility.
Preventons :-
These are some strategies suggested for avoiding male infertility include the following :-
- Avoiding smoking as it damages sperm DNA
- Avoiding heavy marijuana and alcohol use.
- Avoiding excessive heat to the testes.
- Maintaining optimal frequency of coital activity: sperm counts can be depressed by daily coital activity and sperm motility may be depressed by coital activity that takes place too infrequently (abstinence 10–14 days or more).
- Wearing a protective cup and jockstrap to protect the testicles, in any sport such as baseball, football, cricket, lacrosse, hockey, softball, paintball, rodeo, motorcross, wrestling, soccer, karate or other martial arts or any sport where a ball, foot, arm, knee or bat can come into contact with the groin.
- Diet: Healthy diets rich in such nutrients as omega-3 fatty acids, some antioxidants and vitamins, and low in saturated fatty acids (SFAs) and trans-fatty acids (TFAs) are inversely associated with low semen quality parameters. In terms of food groups, fish, shellfish and seafood, poultry, cereals, vegetables and fruits, and low-fat dairy products have been positively related to sperm quality. However, diets rich in processed meat, soy foods, potatoes, full-fat dairy products, coffee, alcohol and sugar-sweetened beverages and sweets have been inversely associated with the quality of semen in some studies. The few studies relating male nutrient or food intake and fecundability also suggest that diets rich in red meat, processed meat, tea and caffeine are associated with a lower rate of fecundability. This association is only controversial in the case of alcohol. The potential biological mechanisms linking diet with sperm function and fertility are largely unknown and require further study.
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