बच्चेदानी यानी गर्भाशय की एंडोमेट्रियम लेयर का पतला होना बांझपन का मुख्य कारणों में से है। जिस महिलाओं की बच्चेदानी की लाइनिंग पतली होती है उन्हें गर्भधारण करने में बहुत सी मुश्किलों का सामना करना पड़ता है। गर्भधारण की लिए अच्छी क्वालिटी के अंडे और शुक्राणुओं की साथ साथ अच्छी एंडोमेट्रियम लाइनिंग का होना भी बहुत जरूरी होता है क्योंकि अच्छी क्वालिटी का भ्रूण होने के बाद भी अगर वह गर्भाशय में इन प्लांट नहीं होता है तो गर्भ धारण नहीं होता है।
एंडोमेट्रियम क्या है ?
गर्भाशय के 3 लेयर होती हैं बाहरी लेयर को सेरोसा, बीच वाली लेयर को मायोमैटरियम और गर्भाशय के सबसे भीतर वाली लेयर को एंडोमेट्रियम कहा जाता है। पीरियड के दौरान एंडोमेट्रियम की लेयर बदलती रहती है एक बूंद के लिए एंडोमेट्रियम द्वारा प्रत्यारोप यानी इन प्लांट होने के लिए इसकी उचित स्थिति में होना जरूरी होता है इसी का पतला होना ही थिन एंडोमेट्रियम लेयर कहा जाता है
एंडोमेट्रियम के पतले होने का मतलब क्या है?
गर्भाशय की लाइनिंग यानी एंडोमेट्रियम भ्रूण के इन प्लांट होने की जिम्मेदारी होती है। अगर किसी कारण से यह लाइनिंग पतली हो जाती है तो इसे थिन एंडोमेट्रियम के नाम से जाना जाता है।
इसके लक्षण निम्न प्रकार हैं
- बच्चेदानी की पतली लाइनिंग होने वाली महिलाओं में कुछ समस्या हो सकती है जो पतली एंडोमेट्रियम लाइनिंग के लक्षण होते हैं
- जैसे बांझपन प्रयास के बावजूद अगर महिला का गर्भ धारण नहीं हो रहा है
- या अनियमित पीरियड्स होने भी इसी का लक्षण है
- इसके कारण निम्न प्रकार होते हैं
- एस्ट्रोजन की कमी रक्त का प्रवाह ठीक ना होना
- एंडोमेट्रियम टिशू का खराब होना
- सर्जरी गर्भनिरोधक दवाइयों का खाना
- क्लोमीफीन साइट्रेट
आयुर्वेदिक इलाज
आयुर्वेद में इसका बहुत ही अच्छा और सुंदर ढंग से इलाज किया जाता है जिसमें की आचार्य चरक ने इसका बहुत सुंदर वर्णन किया है एवं रत्नावली में कुमार कल्पद्रुम घृतऔर शारंगधर संहिता में भी इसका अच्छा वर्णन मिलता है जो उस में दी हुई मेडिसिन है उसके प्रयोग से पतली एंडोमेट्रियम लाइन का अच्छा इलाज किया जा सकता है शतावरी कल्प और दशमूलारिष्ट ,अशोकारिष्ट जैसी दवाइयों का उपयोग किया जाता है